थकन की गर्द से ख़ुश-रंग आहटों में आ अदावतों को भुला दे मोहब्बतों में आ न-जाने कब से तिरा इंतिज़ार है मुझ को कि नींद तोड़ के बे-ख़्वाब रास्तों में आ मिरे ख़याल के साए तिरे बदन के अक्स पुकारते हैं मुलाक़ात की हदों में आ लिपट गई है मिरे ज़ेहन से तिरी ख़ुश्बू मैं जल रहा हूँ कि बारिश के मौसमों में आ सफ़र की धूप पिघल जाएगी पुरानी है गुलाब बन के महक मेरी धड़कनों में आ बिछड़ना है तो बिछड़ जा तबस्सुमों के साथ जो मुझ से प्यार है तुझ को तो पत्थरों में आ जो शख़्स शो'ला-ए-जाँ बन गया नुमाइश में तुझे न लूट ले वो मेरी धड़कनों में आ