थे जो शेरों में नग़्मगी की तरह दिल से जाते हैं रौशनी की तरह जब भी ज़ालिम वो याद आता है दिल दुखाता है चाँदनी की तरह हाए वो लोग हम से रूठ गए जिन को चाहा था ज़िंदगी की तरह जाने ये लोग किस जहाँ के हैं जब भी मिलते हैं अजनबी की तरह सख़्त हालात में जिए जाना मौत है मौत ख़ुद-कुशी की तरह