तिरा लहजा तिरी पहचान मुबारक हो तुझे तिरी वहशत तिरा हैजान मुबारक हो तुझे मैं मोहब्बत का पुजारी हूँ सो मैं जाता हूँ या'नी नफ़रत का ये सामान मुबारक हो तुझे आँख में तंज़-ओ-रऊनत की चमक बाक़ी रहे लब पे ये तल्ख़ सी मुस्कान मुबारक हो तुझे मैं दुआ करता हूँ तू शहर-ए-चराग़ाँ में रहे तिरा हर ख़्वाब-ए-गुलिस्तान मुबारक हो तुझे तू हुकूमत का है शौक़ीन तिरा बनता है बेबसी शहर की सुल्तान मुबारक हो तुझे मैं तो मर कर भी मिरी जान बचा लूँगा उसे तुझ में मरता हुआ इंसान मुबारक हो तुझे जा रहा हूँ मैं तिरे शहर से यादें ले कर मिरे दिलबर तिरा मुल्तान मुबारक हो तुझे ये बिछड़ना ही अगर हल है तो रंजिश कैसी जाओ ना जाओ मिरी जान मुबारक हो तुझे