तिरा शौक़-ए-दीदार पैदा हुआ है फिर इस दिल को आज़ार पैदा हुआ है सदा पान खा खा के निकले है बाहर ज़माने में ख़ूँ-ख़्वार पैदा हुआ है ये मदफ़न है किस का जो हर लाला याँ से जिगर-ख़ूँ दिल-अफ़गार पैदा हुआ है उड़ाए हैं लख़्त-ए-जिगर आह ने जब हवा में भी गुलज़ार पैदा हुआ है मैं क्यूँकर न रख्खूँ अज़ीज़ अपने दिल को कहीं दिल सा भी यार पैदा हुआ है कहे थी ये तिफ़्ली में देख उस को दाया ये लड़का तरह-दार पैदा हुआ है मैं आया हूँ मुद्दत में कोई उस से कह दो तुम्हारा गुनहगार पैदा हुआ है ये दिल मुझ से लड़ता है तेरी तरफ़ से कहाँ का तरफ़-दार पैदा हुआ है मियाँ 'मुसहफ़ी' बेचते हो जो दिल को तो लाओ ख़रीदार पैदा हुआ है