तिरे सिवा मिरी हस्ती कोई जहाँ में नहीं ये राज़ फ़ाश है हाँ से नहीं मैं हाँ में नहीं जो ला-मकाँ है मुक़य्यद किसी मकाँ में नहीं तअ'य्युनात निशाँ में हैं बे निशाँ में नहीं सिफ़ात जल्वा-गह-ए-ज़ात है तजल्ली-ए-हुस्न ये जिस्म जल्वा-गह-ए-जाँ है नूर-ए-जाँ में नहीं ज़बान-ए-हाल से है कैफ़-ए-बे-ख़ुदी गोया ये वो ज़मीं है कि जिस का निशाँ ज़माँ में नहीं फ़रोग़-ए-हस्ती-ए-मुतलक़ है जलवा-ए-पिंदार हिजाब-ए-हस्ती-ए-मौहूम दरमियाँ में नहीं निशाँ यक़ीं का दो-आलम में क़ल्ब-ए-साकिन है क़रार वहम में आसूदगी गुमाँ में नहीं मिरी फ़सुर्दा-दिली ने नए खिलाए हैं गुल नहीं कि मौसम-ए-गुल मौसम-ए-ख़िज़ाँ में नहीं मैं नंग-ए-देहली हूँ नंग-ए-सुख़न-वराँ 'साहिर' असातिज़ा की ज़बाँ क्या करूँ दहाँ में नहीं