तिरी नज़र से ज़माने बदलते रहते हैं ये लोग तेरे बहाने बदलते रहते हैं फ़ज़ा-ए-कुंज-ए-चमन में हमें तलाश न कर मुसाफ़िरों के ठिकाने बदलते रहते हैं नफ़स नफ़स मुतग़य्यर है दास्तान-ए-हयात क़दम क़दम पे फ़साने बदलते रहते हैं कभी जिगर पे कभी दिल पे चोट पड़ती है तिरी नज़र के निशाने बदलते रहते हैं लगी है 'सैफ़' नज़र इंक़िलाब-ए-दौराँ पर सुना तो है कि ज़माने बदलते रहते हैं