तिरी तलाश में भटका हूँ दर-ब-दर जानाँ मैं तुझ को भूल न पाऊँगा उम्र भर जानाँ नहीं है तुझ से किसी तौर भी मफ़र जानाँ है तू ही क़ातिल-ए-दिल तू ही चारागर जानाँ मिरी तलाश मिरी आरज़ू मिरी चाहत तिरा जमाल तिरा क़ुर्ब-ए-मो'तबर जानाँ ये आँखें तेरे ही जलवों की हैं अमीं बे-शक ये दिल है तेरी मोहब्बत का मुस्तक़र जानाँ नज़र में तू है ख़यालों में तू है दिल में तू मैं कब हुआ तिरी जानिब से बे-ख़बर जानाँ तिरी ही याद ने महकाए मेरी रूह में ज़ख़्म तिरे सबब से है ख़ुशबू का ये सफ़र जानाँ हसीन यादों का इक सिलसिला था टूट गया फ़ज़ा में गूँजा जब आवाज़ा-ए-गजर जानाँ