हमारी तरह तुम तड़पो तो जानें मुसलसल रात भर जागो तो जानें वुज़ू मेरी तरह अश्कों से कर के ग़ज़ल के बाम तक पहुँचो तो जानें सभी चेहरे यहाँ हैं एक जैसे सितमगर कौन है परखो तो जानें वो वहशी बे-सबब चिंघाड़ता है बनाओ आदमी उस को तो जानें जला कर इश्क़ की क़िंदील दिल में अँधेरी राह से गुज़रो तो जानें हवा-ए-ग़म इधर फिर आ रही है दरीचा ज़ेहन का खोलो तो जानें भरा है जिस की आँखों में अंधेरा उसे कहते हो क्यों देखो तो जानें वो क्यों रखता है अब नेफ़े में चाक़ू 'अलीम' उस से ज़रा पूछो तो जानें