तू भी अपना न हुआ और ख़ुदा छोड़ दिया सोचता हूँ कि तिरे वास्ते क्या छोड़ दिया तेरा दर तेरी गली और तू छोड़ा न गया वर्ना जिस जिस को यहाँ तू ने कहा छोड़ दिया उस सितमगर की निगाहों पे भरोसा तो नहीं तू अगर कहता है जा मान लिया छोड़ दिया साँस ताज़ा हो मिरी और कहीं हब्स घटे इस लिए आज ज़रा दिल को खुला छोड़ दिया ज़ोर बाज़ू से न बन पाया तो कहने वो लगा मसअला तुझ पे मिरा मैं ने ख़ुदा छोड़ दिया अब के वहशत में पुकारूँगा मसीहा कोई जो कभी लेता था मैं नाम तिरा छोड़ दिया हिज्र से जान छुड़ाने की सई में 'शोबी' एक कमरा जो था आसेब-ज़दा छोड़ दिया