तू भी हो जाएगा पानी पानी प्यास है मेरी पुरानी पानी रह के सहरा में हरा हो गया मैं मुझ में बहने लगा धानी पानी कहती जाती है कहानी कोई तेरी हर आन रवानी पानी तू तो रहता है मिरी आँखों में तुझ से क्या बात छुपानी पानी प्यास रोके हुए मैं बैठा था और फिर चीख़ उठा पानी पानी मैं ने खींचा था हवा पर कोई लफ़्ज़ लिखता है जिस के मआनी पानी मेरी आँखों से भी इक बार निकल देखूँ मैं तेरी रवानी पानी हल्क़ से ज़हर उतारूँ 'अतहर' ला मिरे दुश्मन-ए-जानी पानी