तू जब घर से चला जाता है पीछे रह भी क्या जाता है मर जाने वाली हर शय पर मेरा नाम लिखा जाता है बर्फ़ का इक इक आँसू पी कर दरिया वज्द में आ जाता है शायद उस ने दस्तक सुन ली देखो दर खुलता जाता है अलिफ़ समझ में आ जावे तो सब कुछ पढ़ना आ जाता है आईने को 'अश्क' दिखाने मेरे साथ ख़ुदा जाता है