तू नाहक़ ही उसे झुटला रहा है मोहब्बत पर कभी पर्दा रहा है अभी रिश्ते में गुंजाइश है बाक़ी अभी वो ग़लतियाँ गिनवा रहा है जहाँ देखो कोई सूरज का टुकड़ा किसी बादल से धोके खा रहा है ये खोली है किसी ने इत्र-दानी या तेरे गीत कोई गा रहा है न जाने किस हसीं से चोट खा कर वो मेरा दिल दुखाए जा रहा है जो चाहे तू तो रुक कुछ ख़्वाब बुन लें तू जल्दी जा अगर तू जा रहा है उसे अब रोकना मुमकिन नहीं है वो अपने डर से आगे जा रहा है