तुझ से भी हसीं है तिरे अफ़्कार का रिश्ता तू माँग ले मुझ से मिरे अशआ'र का रिश्ता वो धूप में निखरा हुआ बिल्लोर सा पैकर चाँदी सा चमकता हुआ दीदार का रिश्ता तन्हाई में पहुँचे तो सभी थे तही-दामाँ बाज़ार में छोड़ आए थे बाज़ार का रिश्ता इक और गिरह साँस की डोरी में पड़ेगी याद आया मुझे भूला हुआ प्यार का रिश्ता अफ़्कार के जंगल में खड़ा सोच रहा हूँ किस तरह मआ'नी से हो इज़हार का रिश्ता क्यूँ याद दिलाते हो 'रशीद' उन को ये बंधन अब कौन निभाता है ये बेकार का रिश्ता