तुझे ख़बर है तुझे सताता हूँ इस बिना पर तू बोलता है तो हज़ उठाता हूँ इस बिना पर मिरा लहू मेरी आस्तीं पर लगा हुआ है मैं अपना क़ातिल क़रार पाता हूँ इस बिना पर कभी कभी हाल के हक़ाएक़ मुझे सताएँ मैं अपने माज़ी में रहने जाता हूँ इस बिना पर वो अपनी आँखों से देख कर मेरा इल्म परखें मैं अपने बच्चों को सब बताता हूँ इस बिना पर उसे बनाया है मैं ने ये कम नहीं किसी से चराग़ सूरज को मैं दिखाता हूँ इस बिना हर वो उस में रहता है अपना किरदार ढूँढता है मैं हर कहानी उसे सुनाता हूँ इस बिना पर मुझे ख़बर है वो सर ता-पा शाइ'री है 'तैमूर' ग़ज़ल का हिस्सा उसे बनाता हूँ इस बिना पर