तुझे याद क्या नहीं है मिरे दिल का वो ज़माना वो अदब-गह-ए-मोहब्बत वो निगह का ताज़ियाना ये बुतान-ए-अस्र-ए-हाज़िर कि बने हैं मदरसे में न अदा-ए-काफ़िराना न तराश-ए-आज़राना नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना रग-ए-ताक मुंतज़िर है तिरी बारिश-ए-करम की कि अजम के मय-कदों में न रही मय-ए-मुग़ाना मिरे हम-सफ़ीर इसे भी असर-ए-बहार समझे उन्हें क्या ख़बर कि क्या है ये नवा-ए-आशिक़ाना मिरे ख़ाक ओ ख़ूँ से तू ने ये जहाँ किया है पैदा सिला-ए-शाहिद क्या है तब-ओ-ताब-ए-जावेदाना तिरी बंदा-परवरी से मिरे दिन गुज़र रहे हैं न गिला है दोस्तों का न शिकायत-ए-ज़माना