ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है अभी तुझ से मिलता-जुलता कोई दूसरा कहाँ है वही शख़्स जिस पे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँ वो अगर ख़फ़ा नहीं है तो ज़रूर बद-गुमाँ है कभी पा के तुझ को खोना कभी खो के तुझ को पाना ये जनम जनम का रिश्ता तिरे मेरे दरमियाँ है मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में वही दुख-भरी ज़मीं है वही ग़म का आसमाँ है मैं इसी गुमाँ में बरसों बड़ा मुतमइन रहा हूँ तिरा जिस्म बे-तग़य्युर मिरा प्यार जावेदाँ है उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है