तुझी से दाद-ए-वहशत लें तुझी को मेहरबाँ कर लें जुनून-ए-शौक़ में जो चाहें हम ऐ आसमाँ कर लें जो आए दिल में सब जज़्ब-ए-निगाह-ए-ना-तवाँ कर लें हम अर्ज़-ए-शौक़ से पहले न उन को राज़-दाँ कर लें शिकस्ता साज़ छेड़ें अपनी आँखें गुल-फ़िशाँ कर लें वो आएँ या न आएँ हम तो बज़्म-आराईयाँ कर लें मिरी नज़रों में ख़ाक-ए-आशियाँ भी आशियाँ होगी जिन्हें है बिजलियों का ख़ौफ़ फ़िक्र-ए-आशियाँ कर लें तलाफ़ी कुछ न कुछ हो जाए तकलीफ़-ए-तबस्सुम की ज़रा ठहरो हम अपने दामनों की धज्जियाँ कर लें हवा-ए-गर्म कुछ मोहलत दे इन मासूम ग़ुंचों को कि थोड़ी देर तो नज़्ज़ारा-ए-रंग-ए-जहाँ कर लें