तुझ को इतना बताने आया हूँ तेरी क़िस्मत का मैं सितारा हूँ इक नज़र मुझ को ग़ौर से देखो कैसी ख़्वाहिश हूँ क्या तमन्ना हूँ मेरा हर नक़्श है बक़ा तेरी तेरी पहचान तेरा चेहरा हूँ मुझ में आबाद एक दुनिया है देखने को मगर मैं तन्हा हूँ सूरत-ए-दीप एक मुद्दत से रात की तीरगी में जलता हूँ फैलने लगता हूँ मैं और 'नक़्क़ाश' ख़ुद में मैं जिस क़दर सिमटता हूँ