तुझ से करनी है बात रस्ते में चल गुज़ारें ये रात रस्ते में क्या कहा उस अमीर-ज़ादे की लुट गई है बरात रस्ते में एक जुगनू भी साथ कर लीजे हो भी सकती है रात रस्ते में आज उस ख़ूब-रू ने आना है हम लगाएँगे घात रस्ते में तब से तन्हा सफ़र नहीं करते जब से खाई है मात रस्ते में वक़्त किस सानहे पे ले आया आ गया है फ़ुरात रस्ते में दर्स देता रहा सबात का जो ख़ुद फिरे बे-सबात रस्ते में तुम ने मक्तूब में लिखा 'आबिद' तख़्ती-ए-दिल दवात रस्ते में