तुम जा रहे हो हम को भुलाने के वास्ते हम आ रहे हैं तुम को मनाने के वास्ते पत्थर के पास दिल कहाँ जिस को बुरा लगे क्यों इतना सोचते हो हटाने के वास्ते कुछ साज़िशें तो सिर्फ़ इसी वजह से हुईं अपने को साज़िशों से बचाने के वास्ते मुझ को भुला के वो भी कई बार रोए हैं लेकिन वफ़ा का ढोंग रचाने के वास्ते कोई नहीं है बज़्म में जो तुम को पूछ ले लगता है मर गए हो ज़माने के वास्ते