हर ख़्वाब की जब उल्टी ता'बीर नज़र आई तख़रीब के पहलू में ता'मीर नज़र आई तन्हाई में जब गुज़रे तख़्ईल की राहों से ता-हद्द-ए-नज़र उस की तस्वीर नज़र आई उस हुस्न-ए-मुजस्सम की मासूम निगाहों में दुनिया-ए-मोहब्बत की तफ़्सीर नज़र आई इस आलम-ए-हस्ती में आलाम-ओ-मसर्रत की हर शख़्स के पैरों में ज़ंजीर नज़र आई जिस राह से गुज़रे हैं हर एक नफ़स हम को तदबीर से वाबस्ता तक़दीर नज़र आई दिल बुझने लगा जब से धुँदले हुए आईने मौहूम ज़माने की तस्वीर नज़र आई