तुम ख़फ़ा हो तो अच्छा ख़फ़ा हो ऐ बुतो क्या किसी के ख़ुदा हो अपने मस्तों की ख़ैरात साक़ी एक साग़र मुझे भी अता हो कुछ रहा भी है बीमार-ए-ग़म में अब दवा हो तो किस की दवा हो आओ मिल लो शब-ए-व'अदा आ कर सुब्ह तक फिर ख़ुदा जाने क्या हो तू ने मुझ को कहीं का न रक्खा ऐ दिल-ए-ज़ार तेरा बुरा हो ग़ुस्से में भी रहा पास-ए-दुश्मन कह रहे हैं कि तेरा भला हो तुम को 'बेदम' हमीं जानते हैं पारसा हो बड़े पारसा हो