तुम को पता है अपने दिल को कैसे हम ने शाद किया दिन में तुम्हारे ख़्वाब सजाए शब-भर तुम को याद किया आँखें मूँदीं चेहरा देखा आई ख़ुशबू साँस जो ली तुम को यूँ पाबंद किया और ख़ुद को यूँ आज़ाद किया सूरज निकला सुब्ह हुई कब चंदा चमका रात हुई चुपके चुपके छत पर लेटे लम्हों को बर्बाद किया दूरी क्या है क़ुर्बत क्या है प्यार करो तो जानोगे मन से मन को जोड़ लिया है दर्द से दिल आबाद किया बैठे अकेले सोच रहे हैं 'ज़ाहिद' क्या ये मोहब्बत है एक सनम की ख़ातिर हम ने दुनिया को नाशाद किया