तुम मुँह लगा के ग़ैरों को मग़रूर मत करो लग चलना ऐसे देसों से दस्तूर मत करो टस्वे बहा के हर घड़ी ज़ारी नहीं है ख़ूब ये राज़-ए-इश्क़ है उसे मशहूर मत करो हर-चंद दिल दुखाना किसी का बुरा है पर रंजीदा ख़ातिरों को तो रंजूर मत करो ऐ हमदमो जो मुझ से है मंज़ूर इख़्तिलात जुज़ ज़िक्र-ए-यार तुम कोई मज़कूर मत करो रौशन रखो जहान में मौला मिसाल-ए-मेहर चंदा के मुँह से नूर को तुम दूर मत करो