तुम ने जो सोचा है वैसा ही सही इश्क़ झूठा है तो झूठा ही सही उस से हर हाल निभाना है मुझे वो जो कड़वा है तो कड़वा ही सही चाँद-तारे तो नहीं क़िस्मत में मिट्टी का एक खिलौना ही सही मेरे जज़्बात तमाशा हैं अगर चल तो फिर और तमाशा ही सही इक अजब दिल को सुकूँ देता है मिलना हम दोनों का सपना ही सही मुझ को है नाज़ कि कुछ तो हूँ मैं 'ज्योति' क़तरा है तो क़तरा ही सही