तुम साथ चले थे तो मिरे साथ चला दिन तुम राह से बिछड़े थे कि बस डूब गया दिन जो तुम से महक जाए इक ऐसी न मिली रात जो तुम से चमक जाए इक ऐसा न मिला दिन इक रंगी-ए-हालात से पथरा गईं आँखें जिस तरह कटी रात उसी तरह कटा दिन वो और मसाफ़त थी जिसे झेल चुके हम ये और मसाफ़त है जिसे झेल रहा दिन