तुम वक़्त पे कर जाते हो पैमान फ़रामोश ये भूल नहीं होती मिरी जान फ़रामोश मेहराब-ब-इबादत ख़म-ए-अबरू है बुतों का कर बैठे हैं काबे को मुसलमान फ़रामोश आबाद रहे शाद रहे याद तुम्हारी मुझ से नहीं होने की किसी आन फ़रामोश कब भूलते हैं पाँव मिरे दश्त-नवर्दी करते हैं कहाँ हाथ गिरेबान फ़रामोश