तुम ये समझ रहे थे निशाने पे आ गया मैं घूम-फिर के अपने ठिकाने पे आ गया दरबान से उलझने का ये फ़ाएदा हुआ बाहर वो मेरे शोर मचाने पे आ गया तारीफ़ उस के काम की महँगी पड़ी मुझे वो शख़्स अपने दाम बढ़ाने पे आ गया तस्वीर उस की घर में लगाने की देर थी मालिक-मकान मुझ को उठाने पे आ गया फिर यूँ हुआ कि प्यास ही 'महबूब' मर गई जिस वक़्त मैं कुएँ के दहाने पे आ गया