तुम्हारे होंटों पे बस मेरा नाम ज़िंदा रहे तुम्हारे साथ बिताई ये शाम ज़िंदा रहे ख़ुदा करे कि ये निय्यत ही काम आ जाए हवाला हो या न हो मेरा काम ज़िंदा रहे मुझे दवाम की चाहत नहीं मगर ऐ ख़ुदा मैं चाहती हूँ कि मेरा कलाम ज़िंदा रहे अजीब ढंग की ये चाल चल गया है कोई कि बादशाह न हो और ग़ुलाम ज़िंदा रहे मिरी ग़ज़ल के सब अशआ'र चाहे रद हो जाएँ मगर इमाम पे मेरा सलाम ज़िंदा रहे ज़माने भर का मुझे होश तक न हो 'बुशरा' तुम्हारी याद का बस एक जाम ज़िंदा रहे