तुम्हारे ज़ुल्म की सारे जहाँ तक बात जा पहुँची कहाँ से बात निकली और कहाँ तक बात जा पहुँची ग़म-ए-पिन्हाँ की फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ तक बात जा पहुँची छुपाई लाख लेकिन हर ज़बाँ तक बात जा पहुँची हुई पहले तो कुछ आपस में अन-बन बादा-ख़्वारों में बढ़ी जब बात तो पीर-ए-मुग़ाँ तक बात जा पहुँची बहुत खोए हुए थे हम जवानी की बहारों में यकायक होश आया जब ख़िज़ाँ तक बात जा पहुँची मिरे मातम को तिनके आ रहे हैं उड़ के गुलशन से क़फ़स का ज़िक्र क्या अब आशियाँ तक बात जा पहुँची गरेबान-ए-सहर की धज्जियाँ उड़ जाएँगी 'शब्बर' अगर मेरे जुनूँ की आसमाँ तक बात जा पहुँची