तुम्हारा जाना तुम्हारे जाने पे गुज़री आहट से बात करना हमें तो आदत सी हो गई है कि सरसराहट से बात करना कभी भी हम पर खुला नहीं है कि अस्ल में उस ने क्या कहा है गई हवाओं की तरह कानों में सनसनाहट से बात करना अगर हो पतझड़ तो मेरे ये ज़र्द हाथ हाथों में थाम लेना जो सावनों की झड़ी लगी हो तो गुनगुनाहट से बात करना वो दिन किसी की जुनून-ख़ेज़ी से हार कर बात मान लेना किसी के रंगीं मुतालबे सुन के तमतमाहट से बात करना सुना है मुद्दत तलक उसे ये जबीं-सितारा सी याद आई बहुत दिनों उस को याद आया था झिलमिलाहट से बात करना लबों की सुर्ख़ी बता सकी न तो क्या हुआ बात हो गई है कलाइयों के तमाम गजरों का मुस्कुराहट से बात करना