तुम्हारे हिज्र का अंजाम ख़ूबसूरत है बहुत उदास मगर शाम ख़ूबसूरत है फिर इस के बा'द ये रस्ता किधर को जाता है ये ज़िंदगी तो कोई गाम ख़ूबसूरत है तू जिस तरह से हसीं है ज़माने भर से अलग उसी तरह से तिरा नाम ख़ूबसूरत है नहीं ज़रूरी कि हर बात की वज़ाहत हो कहीं कहीं पे ये इबहाम ख़ूबसूरत है मैं इस लिए नहीं देता सफ़ाई अपनी 'वफ़ा' मिरे हरीफ़ का इल्ज़ाम ख़ूबसूरत है