ये हादसा भी तिरे शहर में हुआ होगा तमाम शहर मुझे ढूँढता फिरा होगा मैं इस ख़याल से अक्सर उदास रहता हूँ कोई जुदाई की सदियाँ गुज़ारता होगा चलो कि शहर की सड़कें कहीं न सो जाएँ अब इस उजाड़ हवेली में क्या रखा होगा तुम्हारी बज़्म से निकले तो हम ने ये सोचा ज़मीं से चाँद तलक कितना फ़ासला होगा ज़रा सी देर को सोने से फ़ाएदा 'आज़र' तुम्हें तो रोज़ इसी तरह जागना होगा