तुम्हारे हिज्र में दम भर हमें क़रार नहीं By Ghazal << तुम्हारी याद है मैं हूँ क... तबीबों से नज़र की चोट पहच... >> तुम्हारे हिज्र में दम भर हमें क़रार नहीं वो ग़म उठाए हैं जिन का कोई शुमार नहीं ये सुन रहे हैं कि तुम ने भुला दिया हम को मगर तुम्हारी क़सम हम को ए'तिबार नहीं अगर ये सच है कि उल्फ़त है तुम को ग़ैरों से तो हम से आ के ये कह दो कि तुम से प्यार नहीं Share on: