तुम्हारी याद है मैं हूँ कि ज़िंदगी है यही मआल-ए-ग़म है यही हासिल-ए-ख़ुशी है यही अदू पे लुत्फ़-ओ-करम और मुझ पे जौर-ओ-सितम बता दे मेरी वफ़ाओं की तोहफ़्गी है यही तुम्हारी दीद से तस्कीन-ए-क़ल्ब होती है मिरी निगाह की बस वज्ह-ए-तिश्नगी है यही तिरे हुज़ूर में धूनी रमाए बैठा हूँ ज़माना कुछ भी कहे अपनी ज़िंदगी है यही किसी की मद भरी नज़रों से पी चुका हूँ 'हयात' बताऊँ क्या तुम्हें बस राज़-ए-बे-ख़ुदी है यही