तुम्हारी ज़ात का पहले गुमाँ कोई नहीं था हमारा कुन से पहले राज़-दाँ कोई नहीं था बड़ी ख़ुश-फ़हमियाँ थीं साथ हैं अहबाब लेकिन जो पीछे मुड़ के देखा तो वहाँ कोई नहीं था ठिकाना मिल गया हम को तुम्हारे दिल में आख़िर कि इस से क़ब्ल तो अपना मकाँ कोई नहीं था मुझे आवारगी ने जा के छोड़ा उस जगह पर मुसलसल बर्फ़-बारी थी धुआँ कोई नहीं था