तुम्हें जिस भी तरफ़ सहरा मिलेगा By Ghazal << आरज़ू जागा करेगी और सो जा... तुम्हारी ज़िंदगी से जा रह... >> तुम्हें जिस भी तरफ़ सहरा मिलेगा वहीं पर दिल मिरा ठहरा मिलेगा तिरे हाथों पे मैं रख दूँगा ला कर मुझे गर रात को तारा मिलेगा सदाएँ ख़ुद को दे कर देखना तुम सदाओं का असर गहरा मिलेगा मुझे अफ़्सोस है इस बात से भी तुम्हें मुझ से कोई अच्छा मिलेगा Share on: