तुम्हें तुम्हारी ज़िया मुबारक हमें हमारी अना मुबारक ख़ुदा में उलझे नमाज़ियों को ख़ुदा मुबारक ख़ुदा मुबारक मुझे पता है कि इस पते पर तुम्हें मिलेगी फ़क़त तबाही मगर तुम आशिक़ नए नए हो तुम्हें सनम का पता मुबारक बुझे चराग़ों के अंजुमन में मुझे मुबारक ग़मों की रातें तुम्हें मुबारक नशात के दिन और आफ़्ताबी ज़िया मुबारक मुझे मुबारक क़रीब आ कर गले लगा कर बिछड़ने वाले तुम्हें मुबारक हबीब सारे और उन की मेहर-ओ-वफ़ा मुबारक क्यों ऐसे मुद्दे उठा रहे हो कि बाद में कोई मसअला हो मगर जो तेरी यही है चाहत तिरे लबों को गिला मुबारक