तुम्हीं बताओ तुम्हारा है इंतिज़ार किसे तुम्हारी याद सताती है बार बार किसे ये किस की आँखों से बरसेगा अब्र-ए-सुब्ह-ए-अलम शब-ए-नशात बनाएगी ग़म-गुसार किसे लहू का लम्स तो ख़ंजर के लब ने चूस लिया दिखाए रंग-ए-तबस्सुम ये अश्क-बार किसे खिलेंगी किस की तमन्नाएँ सहन-ए-गुलशन में नसीब आएगा वो मौसम-ए-बहार किसे ये दोस्तों की नवाज़िश है ऐ 'असद' वर्ना ख़ुतूत आए हैं इस तरह बे-शुमार किसे