ख़मोश रह के ज़वाल-ए-सुख़न का ग़म किए जाएँ सवाल ये है कि यूँ कितनी देर हम किए जाएँ ये नक़्श-गर के लिए सहल भी न हो शायद कि हम से और भी इस ख़ाक पर रक़म किए जाएँ कई गुज़िश्ता ज़माने कई शिकस्ता नुजूम जो दस्तरस में हैं लफ़्ज़ों में कैसे ज़म किए जाएँ ये गोश्वारे ज़बाँ के बहुत सँभाल चुके सौ शेर काट दिए जाएँ ख़्वाब कम किए जाएँ तेरा ख़याल भी आए तो कितनी देर तलक कई ग़ज़ाल मिरे दश्त-ए-दिल में रम किए जाएँ मैं जानता हूँ ये मुमकिन नहीं मगर ऐ दोस्त मैं चाहता हूँ कि वो ख़्वाब फिर बहम किए जाएँ हिसाब दिल का रखें हम कि दहर का 'बाबर' शुमार दाग़ किए जाएँ या दिरम किए जाएँ