उदास दिल है कि उन की नज़र नहीं होती बग़ैर शम्स के ताब-ए-क़मर नहीं होती कुछ ऐसे लोग भी दुनिया में हम ने देखे हैं समा भी जाते हैं दिल में ख़बर नहीं होती उठो तो दस्त-ब-साग़र चलो तो शीशा-ब-दोश ये मय-कदा है यहाँ यूँ गुज़र नहीं होती कभी कभी मुझे उन का ख़याल आता है कभी कभी मुझे अपनी ख़बर नहीं होती शब-ए-हयात है साग़र में डूब जा 'इशरत' ये ऐसी रात है जिस की सहर नहीं होती