उड़ती ख़ुशबू हूँ न बादल की रवानी जानाँ मुख़्तलिफ़ है मिरी दुनिया से कहानी जानाँ तुझ से मंसूब हुआ हूँ तो हूँ नाज़ाँ ख़ुद पर कि मयस्सर हुई गुल-रंग कहानी जानाँ मैं सवाली हूँ तिरे हुस्न की रानाई का हो अता मुझ को भी कुछ अपनी निशानी जानाँ वक़्त के बिखरे ख़राबों के इन्हीं ढेरों पर ढूँढने निकला हूँ गुम-गश्ता जवानी जानाँ मैं ने हर मोड़ पे समझाया तुझे की तल्क़ीन पर मिरी बात न तू ने कभी मानी जानाँ