उड़ानें ले उड़ें शहपर हमारे महाज़-ए-इश्क़ है और सर हमारे बराए ज़िद हमें ता'मीर कर के बहुत पछताए कूज़ा-गर हमारे बदन छू कर अदू का लौट आए हमीं से आ लगे पत्थर हमारे रिहाई मिल गई थी हम को लेकिन उखाड़े जा चुके थे पर हमारे पड़े हैं साहिलों पे रेत हो कर समुंदर खा गया गौहर हमारे तुम्हारे आँसुओं को सोख लेगी किसी की राख है अंदर हमारे