उदास बस आदतन हूँ कुछ भी हुआ नहीं है यक़ीन मानो किसी से कोई गिला नहीं है अधेड़ कर सी रहा हूँ बरसों से अपनी परतें नतीजतन ढूँडने को अब कुछ बचा नहीं है ज़रा ये दिल की उमीद देखो यक़ीन देखो मैं ऐसे मासूम से ये कह दूँ ख़ुदा नहीं है मैं अपनी मिट्टी से अपने लोगों से कट गया हूँ यक़ीनन इस से बड़ा कोई सानेहा नहीं है तो क्या कभी मिल सकेंगे या बात हो सकेगी नहीं नहीं जाओ तुम कोई मसअला नहीं है वो राज़ सीने में रख के भेजा गया था मुझ को वही जो इक राज़ मुझ पे अब तक खुला नहीं है मैं बुग़्ज़ नफ़रत हसद मोहब्बत के साथ रखूँ नहीं मियाँ मेरे दिल में इतनी जगह नहीं है चहार जानिब ये बे-यक़ीनी का घुप अँधेरा ये मेरी वहशत का इन्ख़िला है ख़ला नहीं है उसी की ख़ुशबू से आज तक मैं महक रहा हूँ वो मुझ से बिछड़ा हुआ है लेकिन जुदा नहीं है लिखा हुआ है तुम्हारे चेहरे पे ग़म तुम्हारा हमारी हालत भी ऐसी बे-माजरा नहीं है ये ताज़ा-कारी है तर्ज़-ए-एहसास का करिश्मा मिरे लुग़त में तो लफ़्ज़ कोई नया नहीं है नया हुनर सीख फ़ी-ज़माना हो जिस की वक़अत सुख़न की निस्बत से अब कोई पूछता नहीं है जिसे हो 'इरफ़ान'-ए-ज़ात वो क्या तिरी सुनेगा ओ नासेहा छोड़ दे कोई फ़ाएदा नहीं है