उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा वो मेहरबाँ नहीं ऐसा कि हाल पूछेगा जवाब दे न सकोगे पलट के माज़ी को इक एक लम्हा वो चुभते सवाल पूछेगा दिलों के ज़ख़्म दहन में ज़बाँ नहीं रखते तो किस से ज़ाइक़ा-ए-इंदिमाल पूछेगा कभी तो ला के मिला मुझ से मेरे क़ातिल को जो सर है दोश पे तेरे वबाल पूछेगा ये क्या ख़बर थी कि सीने के दाग़ लौ देंगे कोई जो मेहनत-ए-फ़न का मआल पूछेगा तू हर्फ़-ए-इश्क़-ओ-बसीरत है लब न सी अपने ज़माना तुझ से भी तेरा ख़याल पूछेगा मुझे तराश के रख लो कि आने वाला वक़्त ख़ज़फ़ दिखा के गुहर की मिसाल पूछेगा बना के फूल की ख़ुशबू फिराएगी सदियों हवा से कौन रह-ए-ए'तिदाल पूछेगा ये एक पल जो है मजहूल शख़्स की सूरत मिज़ाज-ए-आगही-ए-माह-ओ-साल पूछेगा यहाँ तअय्युन-ए-अक़दार भी ज़रूरी है ख़ुद अपने मुश्क की क़ीमत ग़ज़ाल पूछेगा मिरा क़लम अबदियत की रौशनी है 'फ़ज़ा' इस आफ़्ताब को अब क्या ज़वाल पूछेगा