उदासियाँ सहर-ओ-शाम की नहीं अच्छी 'जिगर' ये ख़ू दिल-ए-नाकाम की नहीं अच्छी छलक चले न कहीं ज़र्फ़ ऐ दिल-ए-मख़मूर बहुत हवस मय-ए-गुलफ़ाम की नहीं अच्छी उन्हीं को करती है बे-ख़ानुमाँ जो बे-घर हैं रविश ये गर्दिश-ए-अय्याम की नहीं अच्छी किसी की शान-ए-तग़ाफ़ुल से है वक़ार-ए-नाज़ उमीद नामा-ओ-पैग़ाम की नहीं अच्छी सिवाए कश्मकश-ओ-इज़्तिराब क्या हासिल कुरेद क़िस्मत ओ अंजाम की नहीं अच्छी दिल-ए-हज़ीं न कहीं इश्क़ बद-गुमाँ हो जाए तलाश राहत-ओ-आराम की नहीं अच्छी कहीं ये फूलों के ईमा से हों न मुर्ग़-ए-असीर शिकायतें क़फ़स-ओ-दाम की नहीं अच्छी 'जिगर' ये याद कहीं ज़हर हो न जाए तुम्हें जो रट लगी है किसी नाम की नहीं अच्छी