उजले मोती हम ने माँगे थे किसी से थाल भर और उस ने दे दिए आँसू हमें रुमाल भर जिस क़दर पौदे खड़े थे रह गए हैं डाल भर धूप ने फिर भी रवय्ये को न बदला बाल भर यूँ लगा आकाश जैसे मुट्ठियों में भर लिया मेरे क़ब्ज़े में परिंदे आ गए जब जाल भर उस की आँखों का बयाँ उस के सिवा क्या कीजिए वुसअ'तें आकाश सी गहराइयाँ पाताल भर छोड़ आए जब से हम कॉलेज की 'शाहिद' नौकरी छुट्टियों के मुंतज़िर रहने लगे हैं साल भर