उलझनों का शिकार हैं हम लोग या'नी ग़फ़लत-शिआ'र हैं हम लोग करके सूराख़ बादबानों में कश्तियों पर सवार हैं हम लोग कम थे फिर भी शुमार होते थे अब फ़क़त बे-शुमार हैं हम लोग कोई हम पर करे हुकूमत क्यों उख़रवी ताजदार हैं हम लोग कोई हम को मिटा न पाएगा इब्न-ए-हक़ का शिआ'र हैं हम लोग