उमीदें मिट गईं अब हम-नफ़स क्या नशेमन की ख़ुशी रंज-ए-क़फ़स क्या बसर काँटों में हो जब ज़िंदगानी बहार-ए-ख़ंदा-ए-गुल यक-नफ़स क्या मिरी दीवानगी क्यूँ बढ़ रही है बहार आई चमन में हम-नफ़स क्या न हो जब रंग-ए-आज़ादी चमन में तो फिर अंदेशा-ए-क़ैद-ए-क़फ़स क्या बहार-ए-नौ की फिर है आमद आमद चमन उजड़ा कोई फिर हम-नफ़स क्या