उम्र गुज़री है बद-गुमानी पर मैं यक़ीं कर गया कहानी पर चाँद मेरी तरह भी टूटा था जब घटा छाई रुत सुहानी पर तोड़िए अब रसन फ़िराक़ की यार रहम खा जाओ ज़िंदगानी पर साँस थम जाएगी समुंदर की अश्क गिर जाएगा जो पानी पर माँ बुलाए तो आप बोले नहीं हैफ़ है आप की जवानी पर नाज़ करता है ज़मज़म-ओ-कौसर हर घड़ी अर्क़-ए-ज़ौ-फ़िशानी पर